Friday, October 16, 2015

Original by Alfaaz_e_Ashutosh

“ किस्मत के दस्तूरों का खेल है ज़िन्दगी,
  खेलतें सब हैं, और उन्हें पता भी नहीं “
                 

“ एहसासों से मिलकर ही असली अल्फाज़ बनतें हैं,

वरना ज़िन्दगी और शब्दों से खेलना तो सबको आता है”

Friday, October 2, 2015

Read it

“You can change the world with a great idea, but you can’t do it alone. You need people. People willing to put themselves on the line!”

#the fifth estate

Tuesday, July 7, 2015

#dirty_politics

मैं बस हालही में एक व्यक्ति के इस एक वाक्य के विषय में की “ मुझे रात भर नींद नही आई” इस पर सिर्फ इतना कहूँगा की जनाब रात में नींद सिर्फ दो तरह के लोगो को ही नहीं आती है ....... पहले जिनहे गलती का असली पछतावा हो ....  दूसरे जिनके मन में चोर हो .........अगर आपको असल मायेनों में पछतावा होता तो शायद आपने ये गलती ही न होने दी होती ...क्यूकी जिस विभाग में ये सब हुआ ... वो खुद आपके अधीन था ....तो आप को बुरा लगा या पछतावा हुआ ये कहना तो आपका गलत हैं ...और अगर ये गलत है ...तो जाहीर है दूसरा विकल्प जरूर सही होगा।
मैं बस आज कल के नेताओं से बस इतना अनुरोध करुंगा की किसी की शहादत पर 10-20 लाख के मुआवजे की जगह अगर आप सिर्फ निष्पछ जाँच ही करवा दें तो जनता को और शायद पीड़ित परिवार को थोड़ा जायदा सुकून मिलेगा।

और एक बात और मैं इन लोगो को एक पुरानी फिल्म का एक गाना भी याद दिलाना चाहूँगा ....”ये public है जनाब, सब जानती हैं”   

Tuesday, June 30, 2015

Perception ??

मनुष्य शायद इसी वजह से मनुष्य कहलाता है, क्यूंकी वो कई चीज़ों को कहे बिना समझ लेता है। पर कई बार, कई बार उसकी यही समझ बिना किसी तथ्य के बना ली जाती है या कहें तो सिर्फ कुछ पहलुओ को ध्यान में रख कर। और शायद यही अधूरी समझ ही “Perception” या “धारणा” कहलाती है।
                        मैं इसको अपने शब्दों में समझाने नही जा रहा ...क्यूंकी वो कुछ और नही बस मेरा एक perception ही हो शायद।
इसलिए मैं आपका मत जानना चाहता हूँ .........

किसी चीज़ का Perception ...सही है या गलत .....और आखिर क्या हद है किसी के भी अधूरी समझ की या फिर कहें “perception” या “धारणा” की ?   

Monday, June 29, 2015

‪#‎Freshly_Made‬

देश में politician की हालत PriyaGold Snakker की तरह हो गई है,
““ बिन खाये, रहा न जाए ”” 

Sunday, June 28, 2015

‪#‎self_written

““ अगर दिखता है अंधेरा मेरी खिड़कियों से झाँकने पर,
तो जरा पर्दे हटा लो,
कुछ मेरी खिड़कियों के, कुछ अपनी आंखो के ””

Friday, June 26, 2015

visit here for more poems and self written content of mine

https://www.youtube.com/channel/UCjnARUvJonGD9XfoM4LDC_w

“ऐसा ही है”

हौसलों को क्या ज़िंदा करना भला,
उनमे तो उनकी खुद की जान है,
कहाँ कोई टटोल पाता है, खुद को पूरी तरह,
जिसने ऐसा है किया, आज वही महान है।


किस्मत को जो मात दे पाये,
अभी वो मेहनत का ही विज्ञान है,
मंजिलों में चलने का बड़ा मन है,
पर इंसान सही राहों से अंजान है।




हमेशा से सुना है हमने,
जान है तो जहान है,
पर मौत को गले लगा के देखो,
उसकी भी अपनी खूबसूरती है,
जिससे दुनिया अंजान है।



सोच में उड़ान है, इरादों में जान है,
सपनों को अपने पंख दिये हैं,
अब अपनी यही पहचान है।





औरों का हो न हो,
पर खुद का पूरा ज्ञान है,
आज वक़्त को जाना है,
यहीं सबसे कीमती और मूल्यवान है।


असफलता से क्यूँ भागूँ,
सफलता तो इसी की देन है,
और इसी का परिणाम है,
गलतियों से सीखता है मनुष्य,
सफलता की राहों में ये एक वरदान हैं।





गलतियाँ करने से डरना कैसा भला,
यहीं देतीं अच्छे-भले का ज्ञान है,
प्यार भरी नजरों से देखो दुनिया को,
तभी समझ आएगा तुम्हें,



दुनिया में बाकी सब अच्छे हैं,
बस खुद को ही बदलने की देरी है,
उसके बाद हर कोई हसीन है,

और हर कोई गुणवान है।

“पहली मोहब्बत”

हाथों को छु के जिसने,
दिल को यूँ धड़काया था,
लफ्जों में अपने यूँ,
मुझकों कुछ उलझाया था,
तुझ जैसा कब बना मैं,
समझ नहीं पाया था,
हाँ, उसकी ही मुझमें इनयात है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।






थोड़ा भी साथ मेरे,
वो कहाँ चल पाया था,
छोड़ा जो साथ उसने,
मैं थोड़ा घबराया था,
आखों में मेरी आँसू,
उसकी यादों ने ही लाया था,
हाँ, उसके जाने की कहाँ शिकायत है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।






न जाने कहाँ है वो,
जिसने यूँ भरमाया था,
मेरी ही गलती थी जो,
उसको न समझाया था,
फिर से अब प्यार किया है,
फिर वो नज़र आया था,
हाँ, मुझे फिर जीने की इजाज़त है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।





Sunday, March 29, 2015

“रोहित का प्यार”

काफी शांत था उस दिन रोहित , जब वो और उसका भाई जैसा दोस्त सोनू ट्रेन से दिल्ली जा रहे थे| एक महीने पहले दोनों ने जॉब के लिए दिल्ली कि ही एक कंपनी मे अप्लाई किया था और परसो ही दोनो का कॉल लेटर भी आ गया था| तभी कल से ही सोनू जिस तरफ काफी खुश और मजे मे था वही कल से ही रोहित का मूड कुछ खराब सा हो चला था | इसकी वजह उसका घर से दूर जाने का गम नहीं था बल्कि एक और खूबसूरत सी चीज़ थी और वो थी सलोनी | सलोनी रोहित का पहला कॉलेज कृश था और मजे कि बात तो ये थी कि सलोनी और रोहित पिछले दो सालो से एक साथ थे | दोनों मानो एक दूसरे के बिना रह ही नहीं सकते थे | शायद यही वजह थी कि कल जब रोहित ने दिल्ली जाने कि बात कि तो जैसे सलोनी के नीचे से जमीन ही खिसक गयी | वो रोहित को अपने से दूर कहीं नहीं जाने देना चाहती थी और इसी वजह से कल दोनों के बीच काफी बहस हो गयी थी और न जाने कब गुस्से मे रोहित ने रिश्ता तोड़ने कि बात कहे दी | काफी बुरा लगा था शायद सलोनी को और शायद तभी उसने इस्स बात को न चाहते हुये भी हामी भर दी | रोहित ने कई बार माफी भी मांगी | न जाने कितनी बार मैसेज और कॉल भी कि, पर सलोनी ने कोई भी जवाब नहीं दिया | इसी बात को लेकर वो काफी नाराज और परेशान था | एक बार तो उसे लगा कि सोनू को माना केर दे कि वो उसके साथ नहीं जा सकता पर फिर उसने खुद को समझाया और राज़ी हो गया|
सोनू कि बात मान कर ट्रेन मे जल्दी जाने से रोहित को एक फाइदा जरूर हुआ कि उसे विंडो सीट मिल गयी सामने वाली विंडो सीट पर एक बैग रखा था तो सोनू रोहित के बगल ही बैठ गया | रोहित उदास मन के साथ खिड़की से बाहर देखने लगा और सोनू समान को ठीक से ऊपर सेट करने लगा |
अभी ये दोनों कुछ देर बैठे ही थे कि अचानक उस बैग को हटा कर वह एक लड़की बैठ गयी , वो शायद उसी लड़की का ही बैग था | वो आई और रोहित के सामने वाली विंडो सीट पर बैठ गयी , देखने मे काफी सिम्पल, शांत और बेहद खूबसूरत | रोहित ने कुछ देर उसे देखा और फिर बाहर देखने लगा था पर मजे तो सोनू के थे रोहित कि उस लड़की पर कोई रुचि न देखते हुये सोनू ने बात करने कि पहल कि और कुछ ही देर मे सोनू और वो लड़की ऐसे बात करने लगे थे मानो सालो से एक दूसरे को जानते हो |
इन सब के बीच एक बार भी रोहित ने उस लड़की कि ओर शायद ही देखा हो , पर हा वो लड़की जरूर सोनू से बात करते करते  उसकी तरफ देख लेती थी  | कुछ ही देर बाद ट्रेन एक स्टेशन पे रुकी और सोनू पानी कि बोतल भरने नीचे उतर गया , इस बीच जब रोहित ने अचानक लड़की को देखा तो पाया कि वो भी उसे देख रही थी और रोहित के देखने पर बाहर देखने लगी थी| अभी तक सोनू इस लड़की से इतनी बाते कर चुका था कि रोहित ने कुछ और न पूछते हुये सिर्फ इतना पूछा “क्या तुम भी जॉब कि वजह से दिल्ली जा रही हो” | इस पर लड़की ने सिर्फ इतना कहा “जॉब कि वजह से तो नहीं पर जॉब के लिए जरूर जा रही हु , सोचती हु वही कही कोई जब कर लूँगी और वैसे भी किसका मन नहीं करता दिल्ली घूमने और वह बसने का” | उसकी बाते सुन कर कल से उदास बैठे रोहित के चेहरे पे थोड़ी सी मुस्कान आ गयी थी और हा सोनू भी तब तक आ ही चुका था | ट्रेन दुबारा चल पड़ी थी और इसी बीच लड़की ने अपने बैग मे पड़ी खुसबूदार टिफ़िन का बॉक्स निकाला और खोल कर सोनू कि तरफ बढ़ा दिया , सोनू तो जैसे जन्मो से भूखा था पर रोहित ने माना कर दिया | लड़की ने एक बार फिर रोहित कि तरफ टिफ़िन बड़ाई और कहा “आज पहली बार मैंने कुछ बनाया है कम से कम थोड़ा खा कर ये तो बता ही सकता है कि कैसा बना है” | रोहित ने इतना कहने पर एक पूड़ी पे सब्जी रोल कि और खाने लगा | खा पी के पानी पीने के बाद रोहित ने धीरे से सिर्फ इतना एचआई कहा “जितना सोचा था उससे काही जायदा टेस्टी था , शुक्रिया” | इतना सुन कर दोनों धीरे से हसने लगे और फिर रोहित बाहर देखने लगा और सोनू फिर से लड़की से बाते करने लगा |
उनकी बातो के बीच मे न जाने कब मुरब्बे कि बात आ गयी और सोनू ने बताया कि उसे मुरब्बे से कितनी नफरत है | पुराने मुरब्बे देख कर उसे बड़ा बेकार सा लगता है, इतना सुन कर अचानक वो लड़की बोल पड़ी “पुराने मुरब्बे और पुराना प्यार दोनों एक ही तरह होते हैं ,हम सोचते हैं कि खराब हो गए पर वक़्त के साथ उनकी मिठास अपने आप बढ़ जाती है” | इतना सुन कर न जाने क्यू रोहित एक पल उस लड़की को देखता रहे गया और उसके चेहरे पे न जाने क्यू हल्की ही मुस्कुराहट आ गयी |
अब तक ट्रेन भी रुक गयी थी , दिल्ली जो आ गया था | तीनों स्टेशन पे उतरे और साथ चलने लगे और  अब न जाने क्यू रोहित के चेहरे पे वो छोटी मुस्कुराहट बरकरार थी वैसे होती भी क्यू न अगर आपका सच्चा प्यार एक नए शहर मे आपके साथ साथ चल रहा हो तो |
जी हा ये लड़की कोई और नहीं बल्कि सनाली ही थी| जो कि खुद भी दिल्ली चली आई थी यही रोहित के साथ रहे कर जॉब करने | बस इतनी सी थी आज कि कहानी |

“मेरी उड़ान”

मैंने जाना है आज खुद की तासीर को,
अब तो जुनून जागा है मंजिल को पाने का,
अब इसके लिए सारे ज़माने से लड़ पड़ूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।

अपने अंदर की कशमकश से उबरा हूँ आज,
अब तो जाना है ख्वाबो को तवजों देना,
और रुखसत-ए –ज़िंदगी तक देता रहूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।

इस्तक़बाल करता हूँ अपनी इस सोच का,
आज मुझमें ही मुझे जगाया जिसने,
अब खुद का भले ही हो, पर इस सोच का अंत कभी न करूंगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।


लोगों की थोपी सारी हदों को,
खुद पर खुद ही लगाई उन बंदिशों को,
अब मैं तोड़ कर आगे बढ़ूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।


अब सोचा है मैंने गैरों के दर क्यूँ जाऊँ,
खुद के मुकद्दर को क्यूँ न आज़माऊँ,
और सोचा है जो वो कर के रहूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।


अब उनकी क्यूँ परवाह करूँ मैं,
जो बिना माँगे नसीहत देते फिरते हैं,
खुद को ही हाफ़िज़ समझा करूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।



खुद को ही खुद में बिखेर देना,
लोगों के बीच खुद को समेट देना,
खुद में इन चीजों को ख़त्म करूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।



खुद में तहजीब को मारा नहीं है मैंने,
बस अब तो सीखा है थोड़ा बेबाक बनना,
अच्छा है या बुरा पर मैं अब ऐसा ही रहूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।


दूसरों को देख कर बहुत सीख लिया अब मैंने
बारी अब खुद के तसव्वुर में जीने की है,
अब तो खुद के तजुर्बों की भी कद्र करूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।


कैसे यकीन दिलाऊ तुझे की बदल गया हूँ मैं,
पुराने खुद को मारा थोड़ी ह खुद में,
बस अब खुद से वादा है की कुछ नया हमेशा सीखा करूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।

ये सब जो आज सोचा है मैंने,
खुद से ली है जिसकी इजाज़त,
उसे अब हर हाल में पूरा करूँगा,
अब बस उड़ना चाहता हूँ मैं, उड़ के रहूँगा।

#My_design_words


#MY_Own_click_editing_words


#My_design_words


Saturday, January 10, 2015

“What we are?”

I see this in everyone including me, we are always worried about our future or in easy words, “what we want to be in future” and with still doing same most of us fail to achieve our future desires and you know why?


                                      Here is the answer, we fail because we work for those things which not existing yet and that is “our future”.
I know it seems funny when you listening these things but according to me it is a fact and you know why? ……….. because firstly we have to work on what we are at this moment instead of wondering about what we want to be in our future.
And this is the reason why we face failure because we always skip or unable to recognize that part.
                   I am not saying that it is not necessary to set a goal but as I said previously, we have to firstly set a purpose instead of goals and we only can find this when we are working on our present and not for our future.
I know all these things are just seems to be a ‘game of words’ like ‘what we are, what we want’ but you must have to know all these above things are not just theoretical talk but it really and totally practical and I can prove it.

“The only goal in life is to set a purpose”

Most of the time I experience that peoples are always wondering about the goals of their life and I think we all are doing the same.



                                               

  But today I realize that the only goal in our life is to set a purpose because you know the main difference between purpose and goal, the ‘purpose’ is the thing which defines our continuous happiness that is the thing which make us happy in real sense for long lasting aspect and ‘goal’ is just a way or a path to achieve our purpose.

You know, our goals are may be temporary but our purposes are permanent.      

Friday, January 9, 2015

Things are practical but still "FAKE"

here i'm talking about peoples and their relationship................

Girna bhi acha hai,aukat ka pata chalta hai...

Badte hai jab haat log ke uthane ko..Tab apno ka pata chalta hai...

Jinhe gussa aata hai ve log sachche hote hai…mainne aksar jutho ko muskurate dekha hai..