Friday, June 26, 2015

“पहली मोहब्बत”

हाथों को छु के जिसने,
दिल को यूँ धड़काया था,
लफ्जों में अपने यूँ,
मुझकों कुछ उलझाया था,
तुझ जैसा कब बना मैं,
समझ नहीं पाया था,
हाँ, उसकी ही मुझमें इनयात है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।






थोड़ा भी साथ मेरे,
वो कहाँ चल पाया था,
छोड़ा जो साथ उसने,
मैं थोड़ा घबराया था,
आखों में मेरी आँसू,
उसकी यादों ने ही लाया था,
हाँ, उसके जाने की कहाँ शिकायत है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।






न जाने कहाँ है वो,
जिसने यूँ भरमाया था,
मेरी ही गलती थी जो,
उसको न समझाया था,
फिर से अब प्यार किया है,
फिर वो नज़र आया था,
हाँ, मुझे फिर जीने की इजाज़त है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है,
वो मेरी पहली, पहली मोहब्बत है।





No comments:

Post a Comment