मनुष्य शायद इसी वजह से मनुष्य
कहलाता है, क्यूंकी वो कई चीज़ों को कहे
बिना समझ लेता है। पर कई बार, कई बार उसकी यही समझ बिना किसी
तथ्य के बना ली जाती है या कहें तो सिर्फ कुछ पहलुओ को ध्यान में रख कर। और शायद यही
अधूरी समझ ही “Perception” या “धारणा” कहलाती है।
मैं इसको अपने शब्दों में
समझाने नही जा रहा ...क्यूंकी वो कुछ और नही बस मेरा एक perception ही हो शायद।
इसलिए मैं आपका मत जानना चाहता
हूँ .........
किसी चीज़ का Perception ...सही है या गलत .....और आखिर क्या
हद है किसी के भी अधूरी समझ की या फिर कहें “perception” या “धारणा” की ?